रविवार, अगस्त 16, 2009

सावधान, आ रहा... एक और इंडिया टीवी!

जी हां……अगले छ: महीनों में ही एक और इन्डिया टीवी हमारे और आपके टीवी सेट पर आनेवाला है, कहें तो धमाका करने वाला है.

मुख्य धारा की खबरों की परिभाषा बदलने वाले, समाचार को तरकारी की तरह हांक लगाकर बेचने वाले, किसी स्टोरी की छोटी-सी बात पर एक-एक घंटे का खास कार्यक्रम बनाने वाले, भूत-प्रेत को पसंद करने वाले, खबरों में स्वर्ग की सीढ़ी खोजने वाले और आपकी अदालत में वकील और जज की भूमिका में अकेले डटे रहने वाले वरिष्ट टीवी पत्रकार और एंकर रजत शर्मा एक और इन्डिया टीवी लाने की घोषणा कर चुके हैं.

रजत जी का यह नया चैनल आर्थिक जगत के हर अनछुए पहलू को सामने लाने का काम करेगा. हिन्दी और अंग्रेजी में आर्थिक खबरों को बाचने वाले इस चैनल का नाम इन्डिया टीवी विज. बकौल रजत जी, इन्डिया टीवी विज आर्थिक जगत के सभी चैनलों की चूले हिला कर रख देगा और बिजनेस चैनलों के अभी तक के सारे मानकों को खत्म कर देगा और अपने उदय के कुछ ही दिनों बाद बिजनेस जगत के समाचार चैनलों का अकेला सूरज बन जायेगा. पता नही, आपको यह खबर पढ के खुशी हुई या नही लेकिन मैं तो इस खबर को पढ़ कर बड़ा ही रोमांचित हो रहा हूँ.

सोचिए और कल्पना कीजिए... आज के बिजनेस चैनल कितने बोरिन्ग हैं. हम जैसे तो घण्टों बैठे रहते हैं लेकिन एक भी बात पल्ले नहीं पड़ती लेकिन जब इन्डिया टीवी वाले अपने स्टाइल मे बिजनेस की खबरें दिखयेंगे तब तो भाई साहब, हर कोई शेयर मार्केट की भाषा जलेबी की तरह समझने लगेगा….. मजा आ जएगा खबरें देखने में……!!

अगर आपने इसी बजट के मौके पर इन्डिया टीवी का वो खास प्रोग्राम देखा हो जिसमे प्रोग्राम का एंकर अपने दोनों हांथ मे दो प्लेट जलेबी लेकर आता है और जलेबी की मदद से यह समझाने की कोशिश करता है कि सरकार ने आम इन्सान के लिये क्या-क्या तोहफा दिया है, तो आप आसानी से समझ सकते हैं कि रजत भाई बिजनेस की खबरों के साथ क्या करने वालें हैं.

मुझे लगता है कि इस चैनल के आने की खबर से तो अब तक के बिजनेस चैनलों के हांथ-पांव फूल रहे होंगे और वो ये सोच-सोचकर परेशान होंगे कि अब उन्हें भी शेयर मार्केट के गिरने और बढ़ने पर कुछ अलग करना होगा सिर्फ गेस्ट से बात करने से नही चलने वाला……..!!

तो फिर आइए, बिजनेस की खबरों मे भी एक क्रान्तिकारी बदलाव का इन्तज़ार करें!!

पारस की खोज....

{यहाँ एक लेखक दोस्त की मदद से एक लघु कहानी हर हफ्ते आपसबों के लिए लाने की कोशिश की जा रही है। ये कहानियाँ छोटी होंगी लेकिन अपने छोटे आकार में काफी बड़ी-बड़ी बातें कह जायेगीं। इस श्रृंखला की पहली पोस्ट यह रही है....}

एक आदमी ने एक दिन पारस पत्थर खोजने की ठान ली,
उसने अपने कमर में एक लोहे की जंजीर लटकाई....
.....
और रास्ते के हर पत्थर को उससे छुआता हुआ वह धरती की एक कोने से दूसरे की तरफ बढ़ चला...!!
दिन, महीने, साल और सदियाँ बीती....
उसने जंगल, पहाड़, नदियाँ और रेगिस्तान लांघे ...
फिर भी उसकी तन्मयता में कोई कमी ना आई..
वह बारी-बारी एक पत्थर उठाता, उसे अपनी जंजीर से छुआता और फिर उसे दूसरी तरफ फेंकर आगे बढ़ जाता...
अचानक एक दिन एक व्यक्ति की नजर, उसके कमर पर पड़ी - वह चिल्लाया-
"
तुम्हारी जंजीर तो सोने की हो गई है."
उसने अकस्मात् अपनी कमर की ओर देखा और हठात जमीन पर बैठ गया-
जिस पारस की खोज में उसने उम्र गुजार दि , वह कब उसके हाँथ से आकर निकल गई उसे पता ही नहीं चला...!
आपको नहीं लगता की हम अपने जीवन के साथ भी अक्सर ऐसा ही व्यवहार करते हैं..?


लेखक- जयशंकर