शनिवार, दिसंबर 26, 2009

मजदूरों की मजदूरी और पुलिस की लाठी

(मुझे यह जानकारी संदीप जी के मेल से मिली. इस खबर को कोई अखबार या टीवी वाला तो दिखाएगा नहीं क्योंकि यहां उनके मालिकों का हित खतरे में है. लेकिन ब्लौग पर तो हम इसे पढ ही सकते है. यहां किसी का कुछ नहीं चलता है.)

करावल नगर के बादाम मज़दूर पिछ्ले कुछ दिनों से मज़दूरी बढ़ाने की मांग को लेकर हड़तालत पर हैं। आज सुबह क़रीब 1500 महिला-पुरुष मज़दूर अपनी मांग के समर्थन में यूनियन के संयोजक आशीष तथा अन्‍य लोगों की अगुवाई में इलाकाई पैमाने का जुलूस निकाल रहे थे। ये मज़दूर प्रति बोरा 40 रुपये की बेहद मामूली दरों पर ठेकेदारों के लिए काम करते हैं। आन्‍दोलन के बढ़ते जनसमर्थन से बौखलाए बादाम ठेकेदारों ने सुबह क़रीब 11:30 बजे अपने गुण्‍डो से जुलूस पर हमला करा दिया। हमले में आशीष, कुणाल और प्रेमप्रकाश बुरी तरह घायल हो गये। ठेकेदारों की बर्बरता से बौखलाए मज़दूरों ने इस पर ज़बर्दस्‍त प्रतिरोध किया।

इस पूरे मामले में करावल नगर पुलिस की भूमिका साफ़तौर पर मज़दूर विरोधी दिखी। पुलिस दिनभर जहां एक ओर मज़दूरों की लिखित नामजद तहरीर पर एफआईआर दर्ज करने का आश्‍वासन देती रही, वहीं शाम 7 बजहे तक ठेकेदार और उनके गुण्‍डो के खिलाफ न तो एफआईआर ही दर्ज हुई और न ही घायल मज़दूरों का मेडिकल मुआयना कराया गया। उल्‍टे पुलिस ने बादाम मज़दूर यूनियन के संयोजक आशीष तथा कुणाल और प्रेमप्रकाश को धारा 107/151 के तहत गिरफ्तार कर लिया।

पुलिस की इस अंधेरगर्दी से पूरे क्षेत्र के मज़दूरों में गुस्‍से की लहर दौड़ गयी। इस पूरे इलाके में क़रीब 25,000 मज़दूर बादाम तोड़ने का काम करते हैं। इन मज़दूरों के ठेकेदार बेहद निरंकुश हैं और क़रीब-क़रीब मुफ्त में मज़दूरों से काम करवाने के आदि हैं। बादाम मज़दूर यूनियन ने गुण्‍डों द्वारा मारपीट और पुलिस की मालिक परस्‍त भूमिका की तीखे शब्‍दों में निंदा की है। यूनियन ने बताया कि कल एक प्रतिनिधिमण्‍डल पुलिस के उच्‍चाधिकारियों से मिलेगा और दोषियों के खिलाफ कार्रवाई की मांग करेगा। युनियन का कहना हैकि यदि उन्‍हें न्‍याय नहीं मिला तो वे आन्‍दोलनात्‍मक रुख अपनाने के लिए तैयार रहेंगे।

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