मंगलवार, दिसंबर 29, 2009

नए साल में एक नई शुरुआत करें!

माननीय,
टीवी के समाचार संपादकों


कुछ ही दिनों में नया साल शुरू होने वाला है. मैं इस मौके पर आपसब के कुशल और खुशहाल जीवन की कामना करता हूं. मैं और मेरे जैसे आपके हजारों दर्शक यही कामना करते हैं. आपके  दर्शक आपसब से बेहद प्यार करते हैं और एक लगाव भी महसूस करते हैं. देखिए, जहां प्यार और लगाव होता है वहीं शिकायतें होती हैं, नाराजगी होती है. यही कारण है कि जब आप अपनी चैनल पर कोई ऐसी-वैसी खबर दिखाते हैं तो हम आप पर बरस पड़ते हैं. आपसे शिकायत करते हैं और अपनी नाराजगी जाहिर करते हैं. ये नारजगी, ये शिकायत केवल इसलिए होती  है कि आप कुछ अच्छा दिखाएं. कुछ अच्छी बात बताएं.


आप ही सोचिए, अगर हमे आपसे मतलब नहीं होता, आपसे कुछ अच्छे की उम्मीद नहीं होती तो हम आपको क्यों देखते? अगर हम नहीं देखते तो आप क्यों कुछ दिखाने के लिए बैठे होते?


पिछ्ले दिनों मैंने कई संपादकों को पढ़ा और सुना है. आप में से कुछ को फेसबुक  पर पढने और जानने का मौका मिला तो कईयों को सभा-संगत में सुनने का मौका मिला. आपको पढ़ कर और सुन कर ऐसा लगा कि आपलोग आलोचना करने वालों को अपना दुश्मन मान कर बैठें हैं. शायद आपको यह लगता है कि कुछ ऐसे लोग हैं जो आपको हमेशा ही गाली देने के लिए तैयार रहते हैं.


लेकिन ऐसा नहीं हैं. हमे अच्छा नहीं लगता जब आप अपने चैनल पर यह दिखाते हैं कि 2012 में दुनिया तबाह हो जाएगी. हमें तब निराशा होती है जब आप खबर दिखाने की जगह "हंसी का फूल डोज" देने लगते हैं.


दुख होता है जब आप शाम के समय यह दिखाते हैं कि किस रियलिटी शो में क्या हो रहा है. हमे झल्लाहट होती है जब आप जल्दी-जल्दी में आरुषी के पिता को उसका खूनी बता देते हैं. हमे घृणा होती है जब कई बार आप पुलिस और प्रशासन के द्वारा कही बात को ही सच मान लेते हैं और उसे हमारे सामने जस का तस पेश करते हैं.


हम चाहते हैं कि आप हमें खबर दिखाएं, कुछ और नहीं.


आपको यह तय करना होगा कि आप क्या करना चाहते हैं और क्या दिखाना चाहते हैं? आपको यह तय करना ही पड़ेगा कि आपके करीब कौन है? आपका दर्शक या टैम की साप्ताहिक रिपोर्ट. जनहित या मार्केट.


अगर आपके करीब आपका दर्शक है तो चलिए इस नए साल के मौके पर आपसब एक प्रण लीजिये कि आप 2010 में खबरें दिखाएंगे और कुछ नही.


अपने दर्शकों से यह वादा कीजिए कि आप टैम के आगे नहीं झुकेंगे बल्कि उस टैम को जिसे आप भी पंसद नहीं करते हैं अपने सामने, अपने दर्शकों के सामने घुटनों के बल बैठने के लिए मजबूर कर देंगे. आपका दर्शक आपके साथ रहेगा.


एक दर्शक.


2 टिप्‍पणियां:

मनोज कुमार ने कहा…

बहत सही आलेख ... बहुत-बहुत धन्यवाद
आपको नव वर्ष की हार्दिक शुभकामनाएं।

mukesh ने कहा…

वेशक नव वर्ष 2010....नया विचार....नये तेवर..नये इरादे....सहित आपको ढेर सारी मंगलकारी शुभकामनाएँ.
अपका
मुकेश कुमार किन्नर