गुरुवार, अप्रैल 08, 2010

तेरा बसेरा यहां नहीं....!!


तू कहीं और जा,
तेरा बसेरा यहां नहीं,


खुद की हरकतों से, 

आज बर्बाद है,
कपटी है बना, 

एक वहशी भी तूझ में तैयार है, 

चल जा, तू कहीं और जा…….!!



5 टिप्‍पणियां:

मनोज कुमार ने कहा…

बेहतरीन। बधाई।

Unknown ने कहा…

बढियां भाव लिखे हैं आपने लेकिन मुझे आपकी रचना में एक अधूरापन दिखा रहा है |

बेनामी ने कहा…

i don't want to write anyhting here.. but am not able to control myself... you know what.. i love you.. & i have got some respect for you... i don wanna loose it!! i know u are not a bad human!! but what to do?? u tell me!!

Fauziya Reyaz ने कहा…

its *wehshi and *chala ja

correct it

Vikas Kumar ने कहा…

फ़ौज़िया, शुक्रिया ठीक करने के लिए.