(मेरी इस स्टोरी को मेरे संपादक ने भाजपा के खिलाफ बता कर रोक दिया. चलिए कोई नहीं. अपना ब्लॉग तो है ही. अभी मैं भाजपा के पक्ष में स्टोरी लिख रहा हूं तब तक आप मेरी इस स्टोरी को पढिए जिसे संपादक महोदय ने रोक दिया.)
भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की महंगाई विरोधी रैली 21 अप्रैल को आयोजित की गई. इस रैली में भाग लेने के लिए हजारों की संख्या में भाजपा कार्यकर्ताओं का हुजूम सुबह ही राजधानी के रामलीला मैदान पहुंचने लगा था.
भाजपा नेताओं के मुताबिक करीब तीन लाख लोगों ने इस रैली में भाग लिया. रामलीला मैदान में पार्टी के लगभग सभी वरिष्ठ नेताओं ने इस रैली को संबोधित किया. यहां आए हुए लोगों के हुजुम को पार्टी के जिन नेताओं ने संबोधित किया उसमें प्रमुख रूप से लालकृष्ण आडवाणी, लोकसभा में विपक्ष की नेता सुषमा स्वराज, राज्यसभा में विपक्ष के नेता अरुण जेटली और पूर्व अध्यक्ष राजनाथ सिंह थे. सबसे ज्यादा समय तक पार्टी के वर्तमान राष्ट्रीय अध्यक्ष नीतिन गडकरे ने कार्यकर्ताओं को संबोधित किया.
भाजपा नेताओं के मुताबिक करीब तीन लाख लोगों ने इस रैली में भाग लिया. रामलीला मैदान में पार्टी के लगभग सभी वरिष्ठ नेताओं ने इस रैली को संबोधित किया. यहां आए हुए लोगों के हुजुम को पार्टी के जिन नेताओं ने संबोधित किया उसमें प्रमुख रूप से लालकृष्ण आडवाणी, लोकसभा में विपक्ष की नेता सुषमा स्वराज, राज्यसभा में विपक्ष के नेता अरुण जेटली और पूर्व अध्यक्ष राजनाथ सिंह थे. सबसे ज्यादा समय तक पार्टी के वर्तमान राष्ट्रीय अध्यक्ष नीतिन गडकरे ने कार्यकर्ताओं को संबोधित किया.
रामलीला मैदान पर कार्यकर्ताओं को संबोधित करने वाले नेताओं में नीतिन गडकरे अंतिम नेता थे. गडकरे के संबोधन के बाद सभी शीर्ष नेता अलग-अलग चार रथों मे सवार हुए और बाकी करीब दस हज़ार लोग उन रथों के साथ पैदल ही निकल पड़े संसद की तरफ. पार्टी के कुछ नेताओं ने बताया कि पार्टी तो ग्राउंड में मौजूद सभी कार्यकर्ताओं और समर्थकों के साथ संसद तक जाना चाहती थी लेकिन दिल्ली की सरकार और प्रशासन ने कानून वय्वस्था बिगड़ने का हवाला देकर ऐसा करने से रोक दिया.
कमोबेस, सभी नेताओं के कहने का एक ही मतलब था कि केन्द्र की मौजूदा सरकार ने महंगाई बढ़ा दी है और इस कमर तोड़ महंगाई से भाजपा ही लोगों को छुटकारा दिला सकती है लेकिन सभा को संबोधित करते हुए पार्टी के किसी भी नेता ने देश की जनता के सामने वो तरीका नहीं बताया जिससे महंगाई को रोका जा सके.
किसी ने भी यह साफ-साफ नहीं कहा कि अगर यह सरकार इस मुद्दे पर सत्ता से बाहर हो जाती है और जनता भाजपा को सरकार बनाने का मौका देती है तो इस पार्टी के लोग किस तरह से महंगाई को कम करेंगे और वो कौन सा फ़ॉर्मुला होगा जिससे देश की बेरोजगार जनता को रोजगार मिल जाएगा.
हालांकि कुछ लोगों का कहना है कि यह रैली सरकार के खिलाफ थी ही नहीं बल्कि यह रैली तो पार्टी के नए अध्यक्ष नीतिन गडकरे का शक्ति प्रदर्शन था क्योंकि गत वर्ष दिसंबर में पार्टी का अध्यक्ष बनने के बाद नितिन गडकरी के नेतृत्व में पार्टी का यह पहला और बड़ा सरकार विरोधी आयोजन था।
इस रैली को लेकर जो अटकलें लगाईं जा रही हैं उसे पार्टी के वरिष्ट नेता और देश के पूर्व गृहमंत्री लाल कृष्ण आडवाणी के ही एक बयान के बाद हवा मिली है. इसी रैली को संबोधित करते हुए आडवाणी ने इस रैली को गडकरे के नेतृत्व में आयोजित एक अभूतपूर्व रैली करार दिया और यह भी कहा कि इस रैली के आगे पूर्व की सारी रैलियां बौनी साबित हो गईं हैं. ऐसा कहते समय आडवाणी का लहजा सामान्य नहीं था. ऐसा उनलोगों का मानना है जो भाजपा की राजनीति और आडवाणी की शैली को बहुत अच्छे से जानते हैं.
इस रैली में एक बात और ऐसी थी जिसे पार्टी के विरोधी और आलोचक पार्टी में फूट और मतभेद के तौर पर देख रहे हैं. इस रैली में पार्टी के हिन्दुत्व ब्रिगेड के अगुआ और गुजरात के मुख्यमंत्री नरेन्द्र मोदी मौजूद नहीं थे.
हालांकि इस बारे में लाल कृष्ण आड़वाणी ने सफाई देते हुए कहा था कि मोदी को कहीं और जाना था सो वो इस रैली में नहीं आ सके लेकिन इस बारे में एक और बात हुई जिस पर ध्यान देने की जरूरत है. मंच से आडवाणी को छोड़कर किसी और नेता ने मोदी का एक बार भी नाम नहीं लिया. यह सामान्य घटना नहीं है. इसी आधार पर कुछ लोग कह रहे हैं कि पार्टी में सब कुछ सामान्य नहीं है.
देखते हैं कि भाजपा की इस रैली से कांग्रेस की सरकार पर कितना और क्या असर पड़ता है और देश की जनता को इस कमर तोड़ महंगाई से कब तक राहत मिलती है. महंगाई कम हो या न हो लेकिन इतना तो हुआ कि देश की राजधानी के कुछ हिस्से इस दिन ठहर गए और कॉमनवेलथ के लिए सज-संवर रही दिल्ली पर खूब सारे पोस्टर और कमल के झंडे खिल गए.
4 टिप्पणियां:
aise sampaadako kee vajah se hi media... bas mouth-peace ban kar rah gayi hai...
par aapko kya lagta hai... ki aisi naukri karni chaahiye jahan hame apne shabdon se samjhautaa karnaa pade...
एक बात हमने नोट की थी कि शब्द 'महंगाई' मंहगाई, महँगाई तीन प्रकार से गाडियों के बेनर आदि पर लिखा मिलता था जो इस शब्द को ठीक न जानते हों उनसे इससे आगे की उम्मीद करना नासमझी होगी
सरकार और मीडिया हो जाएं सावधान, चिट्ठाजगत में उनकी एक नही चलेगी।
इस लेख के लिए हमारी ओर से बधाई स्वीकारें और इसी प्रकार अपना कार्य करते रहें।
aisa to hota hai...aur in haalaat se ladna hoga saath hi sambhalna bhi hoga...
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