शनिवार, सितंबर 26, 2009

“इसरो करेगा चाँद पर खुदाई….” वाह भाई..वाह !!



कुछ दिन पहले हमने चाँद पर छ्लांग लगाई थी तो दुनियाभर के लोगों ने तरह-तरह की बातें बनाई. किसी ने मुंह चमकाते हुए कहा कोई बड़ी बात नही है चाँद पर जाना! तो किसी ने नसीहत वाले लहजे में कहा अच्छा है.पर चाँद के बदले मंगल पर जाना चाहिये था. कुछ लोगों ने तो इस दिवाली मनाने जैसे मौके पर भी हमे यह याद दिला दिया कि हम गरीब हैं और हमारे यहाँ भूखे-नंगों की एक बहुत बड़ी फौज है



लेकिन हमारी सरकार और इसरो वाले सबके सामने डटे रहे और वक्त से पहले चन्द्रयान-1 के नष्ट हो जाने के बाद भी मिशन को पूरा किया. इससे जहाँ एक तरफ सरकार और इसरो के हमारे महारथी खुशी से फूले नही समा रहे थे तो कुछ लोगों ने उन्हीं पुरानी बातों को रटना शुरु कर दिया कि देश से 60 साल में गरीबी नही खत्म हुई, ज्यादातर सरकारी योजना ने अपना मिशन पूरा नही किया, देश में हर पेट को अभी तक खाना नसीब नही हुआ आदि, आदि।



अब आप ही कहिये कि इन मुद्दों को यहाँ उठाने का क्या मतलब है ? मेरे कहने का अर्थ है कि जब इन मुद्दों को उठाने के लिये चुनाव जैसा महत्वपूर्ण समय तय है, काम करवाने के लिये केन्द्र से पंचायत तक जनसेवकों की भीड़ लगी है, पैसा देने के लिए वितमंत्रालय और योजना बनाने के वास्ते योजना आयोग बैठी है तो फिर दिक्कत कहाँ है? और अगर इन सारी व्यवस्थाओं के बाद भी कोई दिक्कत है तो ग्राम कचहरी से लेकर सुप्रीम कोर्ट भी तो बैठी है।



चाँद पर खुदाई कोई छोटी-मोटी बात थोड़े ही है, अरे! ज़मीन पर यह रोज़-मर्रे की बात है. नाजाने, कितने गड्ढे रोज़ खुदते हैं जिसका कोई औचित्य भी नहीं होता. और तो और उस गड्ढे में प्रिंस जैसे कितने बच्चे गिरते हैं. मीडिया भी बेरोज़गारों की तरह गड्ढे ढूंढता फिरता है और हमारी सरकार की नाकामयाबी को सरेआम करने को बेचैन रह्ता है पर अब ऐसा नहीं होगा, क्युंकि अब ज़मीन पर नहीं, चाँद पर होगी खुदाई।



कोई बच्चा गड्ढे में नहीं गिरेगा. हमारी सरकार ने भी ठान ही लिया है कि वो इन कोसू टाइप लोगों के आगे नही झुकेगी तभी तो हमने दो दिन पहले चन्द्रयान-2 चाँद पर उतार दिया, पानी भी खोज निकाली और अब तो चाँद की जमीन पर चल कर ही रहेगी भारतीय कुदाल।




तो आइये, यह भूलकर कि दाल का भाव आसमान छू रहा है, आलू और सेब का भाव बराबर हो गया है, गैस की कीमत बढ़ने वाली है हम क्युं ना जश्न मनायें, फ़ील-गुड करें।


(विशेष आभार: राहुल गांधी)


16 टिप्‍पणियां:

समयचक्र ने कहा…

महगाई बढा बढा कर लोगो को चाँद पर भिजवाने की तैयारी चल रही है फिर वहां भिजवाकर खुदवा देंगे हा हा हा

Udan Tashtari ने कहा…

फील गुड करने की तो अब आदत हो गई है!! :)

अजय कुमार झा ने कहा…

फ़िज़ा कह रही है ...हम तो जरूर जायेंगे..अपने चांद के पास...साथ में बिसलेरी भाई को भी ले कर जायेंगे..ताकि वे फ़ील गुड ..कर सकें..

Renu goel ने कहा…

चाँद पर खुदाई करो तो भैया एक पेड़ जरूर लगवा देना पानी तो वहां मिल ही रहा है ...all the best ...

Asha Joglekar ने कहा…

Arre wahan to pahale hee bahutsegaddhe hain.

Unknown ने कहा…

vikas jee u have really raised an outstnding issue, there is an essential need of better criticism of media for thier way of work being in the field of media............... kahin aap media wale se jyade gussa to nahi hai

Unknown ने कहा…

इन मुद्दों को यहाँ उठाने का क्या मतलब है ? मेरे कहने का अर्थ है कि जब इन मुद्दों को उठाने के लिये चुनाव जैसा महत्वपूर्ण समय तय है, काम करवाने के लिये केन्द्र से पंचायत तक जनसेवकों की भीड़ लगी है, पैसा देने के लिए वितमंत्रालय और योजना बनाने के वास्ते योजना आयोग बैठी है तो फिर दिक्कत कहाँ है? और अगर इन सारी व्यवस्थाओं के बाद भी कोई दिक्कत है तो ग्राम कचहरी से लेकर सुप्रीम कोर्ट भी तो बैठी है।
बहुत खूब कही है आपने

Chandan Kumar Jha ने कहा…

वाह !!! क्या कहना ।

गुलमोहर का फूल

अजय कुमार ने कहा…

स्वागत और शुभकामनायें

निर्मला कपिला ने कहा…

इस पर अपनी एक कविता याद आ गयी । ये खुदाई इस लिये हो रही है है ताकि नेतओं को जनता के प्रति जवाब देह ना होना पडे
मनुष्य़ जब चाँद पर जायेगा
मनुष्य चाँद पर रहने जयेगा ?
धरती को सहेज पाया नहीं
चाँद पर क्या गुल खिलायेगा
ऐसा नहीं कि मुझे चाँद से
इश्क नही
मगर सच कहने में भी
हिचक नहीं कि
जब मनुष्य चाँद पर
नयी दुनिया आबाद करेगा
तब इसं अंधी दौड मे
धरती को बर्बाद करेगा
नंगे भूखों की सीढी बना
उनके पैसों स राकेट् बना
चाँद पर चढ जायेगा
उनके घर की इँटों से
अपना महल बनायेगा
फिर दुनिआ भर के बैंक
चाँद पर ले जायेगा
दो नम्बर का सारा पैसा
वहीं जमा करवायेगा
चाँद का टिकेट मिलेगा
नेताजी या सरमायेदारों को
खबरिया चैनल वालों का
वीज़ा जब्त हो जायेगा
आमआदमी चाँद से फैंकी

वन्दना अवस्थी दुबे ने कहा…

चांद पर पानी मिलने, अब खुदाई होने से वे सब तो बहुत खुश होंगे जिन्होंने चांद पर ज़मीन खरीदना-बेचना शुरु कर दिया है..
श्ब्द-पुष्टिकरण हटा लें तो अच्छा हो..

Sanjay Grover ने कहा…

हुज़ूर आपका भी एहतिराम करता चलूं.........
इधर से गुज़रा था, सोचा, सलाम करता चलूं....

Jayram Viplav ने कहा…

बहुत खूब , नाम के अनुरूप सार्थक पोस्ट . देश-दुनिया के घटनाक्रम पर आपकी पैनी निगाह है . और प्रतिक्रिया भी रोचक है ...........

Fauziya Reyaz ने कहा…

mehngayi vehngayi ki batein chhodo bhai...kuch karna hi hai to jashn manao aakhir hum bade desho ka muqabla karne ke liye taiyaar ho gaye hain...

रामकुमार अंकुश ने कहा…

विचारों के साथ साथ लेखन शैली कविले तारीफ है.

गोविंद गोयल, श्रीगंगानगर ने कहा…

---- चुटकी----

करवा चौथ का
रखा व्रत,
कई सौ रूपये
कर दिए खर्च,
श्रृंगार में
उलझी रही,
घर से भूखा
चला गया मर्द।