शुक्रवार, दिसंबर 11, 2009

ठण्ड की काली रात में......

ठण्ड की काली रात में......
कांपती हुई,
सिकुड़ी हुई है.
तंग कपड़ों में लिपटी,
सड़क किनारे लुढ़्की हुई है.
 
गोद में समेटे बच्चे को,
शीतलहर से लड़ रही है.
लड़ते-लड़्ते हांफ रही है,
और सांसों की खुलती गठरी को बांध रही है.
ठण्ड की काली रात में......

अपनी जिन्दगी जी चुकी है,
ऐसी अनगिनत काली और ठण्डी रातें,
सड़क किनारे, स्ट्रीट लाईट में काट चुकी है.

अब, और जीने की चाह नहीं है लेकिन जिन्दा है,
अपने बच्चे की खातिर, जो उससे गर्मी ले रहा है,
और चैन से सो रहा है.
इस ठण्ड की काली रात में....