अब चुकी मेरे पास डाटा-कार्ड नही था और नेट की सुविधा गॉंव से काफी दूर थी सो मैं दूर था अपने ब्लॉग से। यहाँ एक बात साफ-साफ कहूं तो शुरू के कुछ दिन ही मुझे ब्लॉग से अलग रहने का मलाल हुआ।
गॉंव पहुँचने के तीन-चार दिन बाद, एक दिन रात को मैं इस बारे में सोंच रहा था की नेट की उपलब्धता होती तो मैं गॉंव से भी अपने ब्लॉग पर लिखता रहता फिर मुझे लगा की सही ही था कि वहाँ मेरे पास यह सुविधा नही थी। क्योंकि बेफिक्री से गॉंव की सड़कों पर घुमाने के लिए...... गॉंव में रहे-सहे अपने दोस्तों से(जो अब शादीशुदा ज़िंदगी जी रहें हैं) बतियाने का जिसमे वो अपनी शादी के पहले की खुशी और उसके बाद के झमेलों के बारे में खूब बतलाते थे ......
अपने माय( माँ ) से अंधेरे कमरे में लेटे-लेटे गपियाने का और उनसे वो सारी बातें सुंने का मौका गवां देता जो मेरी गैरहाजरी में गाँव में हुई।
ये बात अलग है कि माँ ने इसी बातचीत के दौरान ये भी बतला दिया कि मेरे हमउम्र और मेरे साथ पढ़नेवाले कितने लड़कों की शादी हो गयी और उनमे से किस-किस के माँ-बाप दादा-दादी बनने वालें हैं.........
भाई, ये तो मैंने भी महसूस किया है कि मुझसे छोटे-छोटे कई लड़कों की शादी हो गयी उनमे से कुछेक तो अपने बच्चों के बाप भी बन चुके हैं और उन्ही में से एक जनाब ने बातचीत में अब मुझे भी शादी कर लेनी चाहिए की नसीहत भी दे डाली और तर्क दिया कि शादी एक ख़ास उम्र तक कर लेनी चाहिए।
जब मैंने पूछा कि वो अपनी शादी से खुश हैं तो वो 15 से 19 के बीच का नौजवान एकाएक 60 साल का बूढा हो गया और गोद में लिए अपने बच्चे को देखते हुए बोला " इ क्या है खुशी की चिन्हासी(निशानी) ही तो है अब त इहे सबकुछ है....." इस बात को सुनकर मुझे हंसी आने लगी तो मैं वहां से हट गया।
तो, अब मैं इस उलझन में हूँ कि शादी कि सही उम्र क्या है? क्या आप बतलायेंगे .......शादी की सही उम्र ?