आगामी चौबीस नवबंर को नीतिश कुमार के नेतृत्व वाली मौजूदा राज्य सरकार के कार्यकाल का एक साल पूरा हो जाएगा. लेकिन सरकार द्वारा एक साल पूरा किए जाने की चर्चा कहीं नहीं दिखेगी. क्योंकि इसी माह की नौ तारीख को नीतिश बाबू “सेवा यात्रा” पे निकल रहे हैं. जाहिर सी बात है कि जब मुख्यमंत्री राज्य के दौड़े पे है तो मीडिया उस यात्रा को ही कवर करने में अपना ज्यादा समय और पन्ना खर्चेगा. यात्रा को छोड़ के कौन इस तरफ ध्यान देना चाहेगा कि बीते एक साल में मौजूदा सरकार ने राज्य की जनता के लिए क्या-क्या किया? कौन-कौन से निवेश इस एक साल में राज्य की जमीन पे उतड़े.? आमजन को प्रभावित करने वाले कौन-कौन से फैसले सरकार ने लिए? नीतिश के सुशासन राज्य में जो बियाडा जमीन घोटाले की बात सामने आई उस केस में क्या प्रगति हुई? फारबिसगंज में जो गोली चली और जो पुलिसिया तांडव हुआ उसके लिए चार माह बाद भी किसी को अभी तक सजा क्यों नहीं मिली?
इसमे कोई शक नहीं कि नीतिश ने राज्य के पिछले आरजेडी शासन से बेहतर शासन व्यवस्था स्थापित करने की कोशिश की है और कुछ मामलों में इनकी सरकार ने सफलता भी हासिल की है. लेकिन इसका मतलब यह नहीं हुआ कि नीतिश सर्वेसर्वा हो गए. और इनकी सरकार में कोई खामी या कमी है ही नहीं. राज्य की मीडिया द्वारा अभी तो सरकार की कमियों को छुपाया जा रहा है लेकिन यह स्थिति ज्यादा दिनों तक नहीं रह सकती है. यह बात नीतिश कुमार और उनके सहयोगियों को समझ लेनी चाहिए.
खैर, अभी नवबंर का महीना है और जैसा कि मैंने उपर ही कहा कि इस महीने मीडिया में ज्यादातर बातें नीतिश कुमार की “सेवा यात्रा” की ही होंगी तो क्यों न हम भी यहां “सेवा यात्रा” और इसी के साथ शुरु हो रहीं कुछ दूसरी यात्राओं तक अपना फोकस रखें. जी हां…इस महीने नीतिश ही अकेले यात्रा पे नहीं होंगे. राज्य की राजनीति में अपने लिए जगह की तलाश में गांव-गांव घुमने लालू यादव भी निकलेंगे और सबसे मजेदार बात- नीतिश सरकार की सहयोगी पार्टी बीजेपी के राज्य अध्यक्ष डॉ. सी.पी.ठाकुर भी भ्रष्टाचार के खिलाफ अलख जगाने की चाहत लिए पूरे राज्य की यात्रा पर संभवत: इसी महीने में निकलेंगे. सी.पी. ठाकुर अपने यात्रा की शुरूआत कहां से करेंगे और किस तारीख को करेंगे इसकी घोषणा तो अभी नहीं हुई है लेकिन इतना तय मानिए कि इनकी यात्रा नीतिश की “सेवा यात्रा” के कुछेक दिन आगे ही शुरू होगी.
जिस दिन नीतिश अपनी “सेवा यात्रा” पश्चिम चंपरण से शुरु करेंगे ठीक उसी दिन आरजेडी सुप्रिमो लालू यादव गया से अपनी यात्रा ’गांव-गांव” के लिए रवाना होगें. नीतिश अपनी यात्रा में गांव-गवई का औचक निरिक्षण करेंगे (निरिक्षण कितना औचक होगा इसका तो उपर वाला ही मालिक है) और देहातों में चल रही योजनाओं के बारे में जानकारी लेंगे. ऐसा दावा है मुख्यमंत्री के दफतर का. लेकिन कौन बुद्दू नहीं जानता कि इन यात्राओं का मतलब होता है लोगों के साथ सरकारी खर्चे पे जनसंपर्क. जिसका फायदा यात्रा करने वाले को अगामी चुनाव में मिलना तय माना जाता है.
नीतिश की यात्रा के लिए पूरा सरकारी अमला है तो दूसरी तरफ लालू के लिए केवल उनके कार्यकर्ता जिनकी संख्या भी अब काफी कम हो गई है. नीतिश के लिए अपनी यात्रा में बोलने के लिए काफी कुछ है. पता नहीं लालू अपनी यात्रा में राज्य की जनता से क्या कह रहे हैं. क्योंकि फिलहाल ज्यादातर मौकों पर वो खूद बोलते-बोलते भुल जाते हैं कि क्या कह रहे थे और आगे क्या कहना है. तब उनके अगल-बगल में बैठे लोग धीरे से उनके कान में फूंक मारते और फिर लालू बोलने लगते. लेकिन नीतिश के साथ ऐसा नहीं है. वो किसी भी मंच पे बोलने के मामले में रत्ति भर भी नहीं चुकते. खूब बोलते हैं और चबा-चबा के बोलते हैं. यह नीतिश की वाकपटुता ही है कि उनके द्वारा राज्य में विकास के नाम पे कुछ सड़के ही मोटे तौड़ पे देखती हैं लेकिन वो सारी वाहवाही अपने नाम किए जा रहे हैं.
जैसा की लेख के शुरू में ही बताया गया कि नीतिश और लालू की यात्राओं के साथ एक यात्रा सी.पी. ठाकुर की भी है. बीजेपी की इस यात्रा का मतलब साफ है कि वो अब नीतिश को अकेले सारी वाह-वाही लेने देने के मूड में नहीं है. भगवा पार्टी पहले ही इस बात से खफा है कि नीतिश की पार्टी राज्य में हो रहे ज्यादातर विकास का लाभ लपक ले रही है और बीजेपी सहयोगी और प्रमुख पार्टी होने के बाद भी मुह ताकती रह जा रही है. कुछ हलकों में तो बीजेपी की इस यात्रा को आगामी लोकसभा के चुनाव में जेडीयू और बीजेपी में होने वाले लगवा की तैयारी से भी जोड़ के देखा जा रहा है. तैयारी हो भी क्यों न. राजनीति में कोई भी रिश्ता पर्मानेंट थोड़े न होता है. लेकिन बीजेपी द्वारा घोषित यह यात्रा हड़बड़ी में घोषित यात्रा लगती है. किसी दूसरी यात्रा के बारे में सोंचना चाहिए था. अभी-अभी तो आडवाणी अपनी भ्रष्टाचार विरोधी यात्रा लेकर बिहार से गुजरे हैं तो फिर से एक भ्रष्टाचार विरोधी यात्रा. फंडा कुछ जम नहीं रहा.
मतलब अगर दो टूक शब्दों में कहें तो नवंबर का महीना यात्रामय होगा लेकिन तीनों की तीनों यात्राएं करने वालों से राज्य की जनता को कुछ खास मिलेगा नहीं. क्योंकि तीनो यात्री इन यात्राओं से कुछ न कुछ पाने की आस लिए निकल रहे हैं. हां…नीतीश की यात्रा से राज्य की जनता का कुछ पैसा बरसात की पानी के तरह जरुर बह जाएगा. नीतीश राज्य में बने रहने के लिए यात्रा पर हैं. लालू यात्रा के माध्यम से राज्य की सत्ता में लौटने का प्रवेश द्वार खोज रहे हैं और डॉ. ठाकुर अपनी यात्रा से नीतिश और जेडीयू को एक प्राईवेट मैसेज चाहते हैं कि अब बस.