बतकही
मौके-बेमौके हो जाने वालीं बेकार सी कुछ बातें...
गुरुवार, अप्रैल 08, 2010
तेरा बसेरा यहां नहीं....!!
तू कहीं और जा,
तेरा बसेरा यहां नहीं,
खुद की हरकतों से,
आज बर्बाद है,
कपटी है बना,
एक वहशी भी तूझ में तैयार है,
चल जा, तू कहीं और जा…….!!
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