एक बिहारी होने के नाते इस बात की खुशी है कि आज हमारा राज्य कई मामलों और मसलों में देश को एक नई राह दिखा रहा है. आज बिहार मर्गदर्शक की भुमिका में है. राज्य की जनता को बिहारी होने का गर्व महसूस हो रहा है.
लेकिन अभी भी राज्य में कई मसलों और मुद्दों पर बात होनी चाहिए. कुछ बदला है. बहुत कुछ बदलना बाकी है.पिछली सरकार ने अपना काम किया है. सड़कें बनी हैं. स्कूलों में बच्चों की संख्या बढ़ी है. गरीब-गुरबों के लिए सरकारी खजाने से पैसे आए.
लेकिन क्या इतना भर ही काफी है. क्या केवल सरकार के जिम्मेवार होने और काम करने से एक बिहारी के “सपनों का बिहार” बन सकता है? नहीं…..ऐसा बिल्कुल नहीं है.
अगर वाकई बिहार को एक बेहतर और कामयाब राज्य बनना है तो सरकार और जनता दोनों को कदमताल करते हुए चलना होगा. राज्य की आम जनता को भी सुन्दर बिहार के लिए खड़ा होना होगा. लड़ना होगा.
अबतक हम यह कह रहे थे कि राज्य का शसन ही सो रहा है तो जनता क्या करे? लेकिन अब ऐसा नहीं है. हमसब ने दूबारा से उस सरकार और नेता में विश्वास जताया है जिसने राज्य की जनता में विकास की ललक पैदा की है. हमने, उस नेता को आगे किया है जिसमें राज्य की जनता को आगे बढ़ाने का हौसला है. हमने उस सरकार को दूबारा बनाने का फैसला किया है जिसके पास राज्य के विकास के लिए एक तय कार्यक्रम है. और इससे यही साबित होता है कि हमलोग विकास चाहते हैं. सुख-शांति और रोजगार चाहते हैं. लेकिन हमारी ये चाहत केवल वोट देकर सरकार बनवा देने भर से पूरी नहीं होगी.
हमे भी राज्य की जनता होने के नाते अपनी-अपनी ज़िम्मेदारी समझनी होगी. हमारा जहां, जो काम है उसे ईमानदारी और लगन से करना होगा. तभी राज्य की तस्वीर असल में बदलनी शुरु होगी. और यह असली बदलाव होगा. इसी तरह से हमारे सपनों का बिहार खड़ा हो सकता है. इसका कोई शर्ट-कर्ट नहीं है. जब तक हम यानी एक आम बिहारी आलसी, भ्रष्टाचारी और घुसखोर बना रहेगा तब तक राज्य का सही मायने में विकास संभव ही नहीं है.
हमे सरकार को विश्वास दिलाना होगा कि आप पैसे भेजिए, योजनाएं बनाइए. जमीन पर उसे लागू जनता करवा लेगी. हम करवाएंगे.
हमे आने वाली सरकार का बोझ हल्का करना होगा. सरकार को यह विश्वास दिलाना होगा कि जिसका जो हक है उसे वो मिलेगा. दूसरा कोई भी उसका हक नहीं खाएगा और अगर किसी ने भी गरीब या जरुरतमंद का हिस्सा लेने की कोशिश की तो जनता उसे बेनकाब कर देगी.
हमें यह समझना होगा कि अगर हम अपने अंदर यह बदलाव लाते हैं. राज्य की मदद करते हैं तो इससे किसी दूसरे का कोई भला नहीं होगा. बल्की इससे हमारे बच्चों के लिए ही एक सुन्दर और ईमानदार “बिहार” तैयार होगा.
“ सपनों का बिहार” बनाना केवल एक सरकार और कुछेक नेताओं के बस में नहीं है. इसके लिए जरुरी है कि हर बिहारी उठ खड़ा हो और कहे- “मुझे बनाना है अपने सपनों का बिहार”