रविवार, अक्टूबर 18, 2009

पेशाब पिशूब करना मना है


सामान्य देशों में लोग सुबह दफ़्तर जाने से पहले नाश्ता करते हुए इसलिए टीवी ऑन करते हैं कि कोई सुंदर चहरा देखें. किसी हल्की फुल्की बात पर हंसें. किसी राग का मज़ा लें और दिन की शुरुआत ख़ुशगवार अंदाज़ में करें.

लेकिन पाकिस्तान में अब लोग सुबह, दोपहर या शाम टीवी ऑन करने के पहले कई बार सोचते हैं. कहीं कोई धमाका न हो गया हो, कहीं आतंकवादी किसी बिल्डिंग में न घुस गए हों, कहीं कोई बड़ा आदमी मारा न गया हो, कहीं कोई छोटा आदमी ग़ायब न गया हो....

आज भी जब दफतर से मेरी पत्नी का एसएमएस आया कि ज़रा टीवी ऑन तो कीजिए. मैं समझ गया कि फिर कोई बुरा या बड़ा हो गया है. लेकिन अब सब लोगों की आदत सी हो गई है कि धमाका, लाशें, सैन्य कार्रवाई कोई ख़बर नहीं है. अगर मज़ा है तो बौखलाए हुए टीवी ऐंकर्स, अनाड़ी रिपोर्टर्स और गृह मंत्री रहमान मलिक को देखने में है. यह वह मख़लूक़ है जो हर ट्रेजडी को ब्लैक कॉमेडी में बदल देती है.

ऐंकर... सूचना के अनुसार हमलावर "सशस्त्र बंदूक़ें" लेकर पुलिस प्रशिक्षण केंद्र में दाख़िल हो गए हैं.

ऐंकर (रिपोर्टर से) आप ने अभी कहा कि इमारत के अंदर से गोलीबारी हो रही है. क्या आप बता सकते हैं कि इस समय कितने लोग फंसे हुए हैं और इन में घायल कितने हैं.

रिपोर्ट... अभी अभी एक आतंकवादी निकल कर भागा है. भागने के अंदाज़ से लगता है कि वह दक्षिण वज़ीरिस्तान से आया है.

ऐंकर... आइए दर्शको, हम आप को गंगाराम अस्पताल लेकर चलते हैं जहाँ हमारे रिपोर्टर मिस्टर फलाँ फलाँ मौजूद हैं. मिस्टर फलाँ फलाँ यह बताइए कि इस समय यहाँ पर लाए गए घायलों की क्या स्थिति है? क्या उन्हें ठीक तरह से चिकित्सा की सुविधाएँ मिल रही हैं. क्या दवाएँ पूरी हैं?

ऐंकर (रिपोर्टर से) अच्छा यह बताईए कि मोहम्मद रशीद नामी आतंकवादी जो गिरफ्तार हुआ है, उन के बारे में क्या जानकारी है.

रिपोर्टर... जी, मोहम्मद रशीद ने पुलिस को बताया है कि उन असली नाम मोहम्मद सिद्दीक़ है.

ऐंकर (पुलिस चीफ से) सुना है कि आंतकवादियों में कुछ महिलाएँ भी हैं.

पुलिस चीफ... जी, अभी इस बारे में कुछ नहीं कहा जा सकता.

ऐंकर... तो इस की कोई संभावना है कि महिलाएँ भी हो सकती हैं??

फिर इंतेज़ार रहता है टीवी के सामने बैठने वालों को कि गृह मंत्री रहमान मलिक आज क्या कहेंगे.
रहमान मलिक... देखें जी, यह बहुत बड़ी सफलता है कि हमला करने वाले सभी आतंकवादियों को मार दिया गया है. यह आतंकवादी मानवता के दुशमन हैं. यह पैसे लेकर ऐसी कार्रवाईयाँ कर रहे हैं. यह विदेशी इशारों पर नाच रहे हैं. अगर आज यह अपने इरादों में कामयाब हो जाते तो बहुत बड़ी तबाही होती और मीडिया के अनुरोध करता हूँ कि वह जिम्मेदारी का प्रदर्शन करे और ऐसी घटनाओँ को ज़्यादा न उछाले.

रिपोर्ट (रहमान मलिक से) पिछले हफ्ते इस्लामाबाद में विश्व खाद्य कार्यक्रम के कार्यालय पर जो हमला हुआ था. उस के बारे में कुछ पता चला?

रहमान मलिक... जी हाँ, उस की जांच हो रही है. अभी तक यही पता चला है कि एक आत्मघाती जो सुरक्षाकर्मियों को वरदी में था उस ने दफतर के बाहर मौजूद एक संतरी से कहा कि वह "पेशाब पिशूब" करना चाहता है. सुरक्षाकर्मी ने उसे अंदर का बाथरूम इस्तेमाल करने की इजाज़त दे दी और वह घुस गया . सुरक्षा संबंधी संस्थाओँ को आदेश दिया है कि आइंदा किसी अज्ञात को चाहे उस ने वरदी ही पहनी हुई हो पेशाब करने के लिए अंदर न छोड़ें.

( यह पोस्ट भी बीबीसी हिन्दी के ब्लॉग खरी-खरी से उधार लेकर यहाँ चस्पा रहा हूँ. .  लेखक है बीबीसी के पत्रकार "वुसतुल्लाह ख़ान")

3 टिप्‍पणियां:

Mishra Pankaj ने कहा…

mast lagaa BBC kaa aabhaar

दर्पण साह ने कहा…

ji haan ye to kal ya parson main hi BBC ke blog main padh li thi.
:)

Udan Tashtari ने कहा…

यही हाल है साहब!