कल जो कुछ महाराष्ट्र में हुआ वो अचानक नहीं हुआ, इसकी रुपरेखा बहुत पहले तैयार हो चुकी थी.
बहुत पहले से मानसे के मुखिया राज ठाकरे ने इस बारे में चेतावनी देनी शुरू कर दी थी लेकिन हम सचेत नहीं हुए. मानसे वालों ने पहले हमे सड़क पर पीटा, मां-बहन की, नंगा किया और उसके बल पर विधानसभा में दाखिल हुए और कल वहां भी हमे पीट गए. हम तब भी चुप थे और आज भी चुप ही रहेंगे क्योंकि हमारी केन्द्र की सरकार उस वक्त भी शांत थी और आज भी खामोश है.
जब हमे सड़क से उठा-उठाकर पीटा जा रहा था, गाली दी जा रही थी, मुम्बई से भागने को बोला जा रहा था तब क्यों नहीं इन गुन्डा टाईप लोगों को रोका गया? क्यों हम पीटते रहे और सरकारें चुप बैठी रहीं? क्यों किसी को भी उस वक्त, आज का अन्देशा नहीं हुआ? क्यों किसी ने भी उस वक्त राज को रोकने की जरुरत महसूस नहीं की?
लोग पीट रहे थे, मीडिया तस्वीर दिखाने में लगा हुआ था. नेता अपनी-अपनी राजनीति कर रहे थे और राज ठाकरे दिनों-दिन मजबूत हो रहे थे. राज ने यह सब बहुत पहले ही सोच लिया था.
इस पूरे मसले पर कांग्रेस की चुपी ने दिखा दिया है कि राजनितिज्ञ अपने फायदे के लिए कुछ भी कर सकते हैं. किसी भी हद तक गिर सकते हैं. बड़ी से बड़ी घटना पर भी मौन रह सकते हैं, और किसी छोटी से छोटी बात पर भी बेवजह की उछल-कूद मचा सकते हैं.
हो सकता है कि कुछ लोगों को यह लगे कि कल की घटना के बाद कुछ बदलेगा लेकिन ऐसा कुछ भी नहीं होने वाला. सब कुछ वैसा का वैसा ही रहेगा क्योंकि यहां हर कोई बिका हुआ है, हम और आप भी.
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