शुक्रवार, नवंबर 20, 2009

चैनल के साथ जनता का समर्थन है.



(इन दिनों हर कोई इन्डिया टीवी के पीछे पड़ा है, कोई खराब कंटेंट का नाम लेकर इस चैनल को गाली दे रहा है तो कोई खबर की प्रस्तुति को लेकर सवाल उठा रहा है. किसी को परेशानी है कि चैनल प्राइम टाइम पर भूतों की कहानी दिखा रहा है तो कुछ लोग कहते फिर रहें हैं कि यह चैनल तो देखने लायक ही नहीं है, बेकार है.
तो ऐसे में, इंडिया टीवी के एक दर्शक ने सभी संपादकों और टीवी आलोचकों के नाम एक शिकायती पत्र लिखा है जिसे जैसा का तैसा नीचे प्रकाशित किया जा रहा है.)
प्रिय संपादकों,
तमाम पोर्टल और अखबार
मैं इंडिया टीवी का एक जागरुक दर्शक हूं, और ऐसा कम ही होता है जब मेरी आंखे टीवी से मतलब इडिया टीवी से हटती हैं, और इधर-उधर मतलब दूसरे ख़बरिया चैनल या किसी पोर्टल की तरफ देखती हैं. मैं इंडिया टीवी के अलावा न तो किसी को देखना पंसद करता हूं और न ही सुनना.
 अब आप सोच रहे होंगे कि मैं यह पत्र आपसब को क्यों और कैसे लिख रहा हूं? साहब, आपको यह मालूम होना चाहिए कि आजतक मैंने रजत जी के अलावा दूसरे किसी भी संपादक को कोई खत नहीं लिखा. लेकिन इस बार लिखना पड़ रहा है.



खैर, अब मुद्दे की बात करें क्योंकि मेरे पास ज्यादा समय है, नहीं. मुझे शिकायत है कि आपसब संपादक अपने-अपने  पोर्टल और ब्लौग पर एक ईमानदार, मेहनती और समाचार की बेहतर समझ रखने वाले चैनल का मजाक उड़ा रहे हैं. समाचार चैनलों की भीड़ में अलग रुख रखने वाले को बदनाम कर रहे हैं, उसे नीचा दिखा रहे हैं. मैं यहां इन्डिया टीवी के बारे में बात कर रहा हूं.
इस चैनल के रिपोर्टरों और संपादकों में खबर की समझ, आपसब से ज्यादा है और खबर को समझाने का तरीका तो ऐसा है कि पूछिए मत.  
मुझे तो लगता है कि आपसब इस चैनल की बढ़त से जलते हैं सो ऐसा कर रहे हैं. लेकिन आपके कुछ भी कहने या लिखने से इस चैनल की सेहत पर कोई फर्क नहीं पड़ेगा, ये याद रखिएगा.
 हो सकता है कि आप में से कुछ लोगों को इस चैनल पर दिखाए जाने वाले प्रोग्राम को समझ पाने की क्षमता न हो, तो मत देखिए. ऐसा तो नहीं कि एक मात्र यही चैनल है, बहुतेरे तो हैं आप जैसे चिरकुट सम्पादकों के लिए.
इस चैनल के प्रमुख और संपादक श्रीमान रजत शर्मा जी पहले ही कह चुके हैं कि वो वही दिखाते हैं जिसे आम जनता देखना चाहती है. आपको उनकी बात समझ नहीं आई थी क्या?
जब चैनल के मालिक कह चुके हैं कि यह चैनल आम जनता के लिए है मतलब हमारे लिए है तो फिर आप जैसे संपादकों को क्यों पड़ी रहती है इस चैनल को देखने की, मत देखिए.
ऐसा तो है नहीं कि अगर आप जैसे कुछ संपादक चैनल को नहीं देखेंगे तो यह डूब जाएगा.
फिर भी अगर इस आम चैनल को देखने का मन करे तो सबसे पहले अपनी समझदारी बढ़ाइए हो सके तो दिमाग को तेज करने के लिए एक दवा “शंखपुष्पी” आज़माइये, फायदा होगा.
और अंत में दो बातें बिलकुल साफ-साफ कह देना चाहता हूं. पहला ये कि खोट चैनल की खबर और प्रोमो में नहीं है दिक्कत आप जैसे संपादकों के दिमाग में है सो किसी बेहतर डॉक्टर से मिलिये.
और दूसरी बात कि आगे से चैनल के बारे में कुछ भी उलटा-सीधा लिखने से पहले यह सोच लें कि इसे आम जनता देखती और पंसद करती है. चैनल के साथ जनता का समर्थन है और लोकशाही में जनता, जनार्दन होती है.
                                                                                                                             आपका विश्वासी
                                                                                                                          इंडिया टीवी दर्शक

1 टिप्पणी:

Fauziya Reyaz ने कहा…

baut hi mazedaar tariqe se kataaksh kiya gaya hai, bahut hi acha aur haan tasveerein dekh kar to poochiye mat kitni asi aayi