बर्तन बिखरे हुए, सड़क किनारे
चुल्हे पे है रोटी पकती, सड़क किनारे
बच्चे रोते, लडते और सो जाते, सडक किनारे
दिन का सूरज, सड़क किनारे
रात मे चान्द, सड़क किनारे
आना-जाना,
खाना-पीना,
लडाई-झगड़े,
प्यार-मोहबत, सब कुछ इनका सडक किनारे
वास्तव मे, ये महानगरों की सडक बनानेवाले हैं!!!
चुल्हे पे है रोटी पकती, सड़क किनारे
बच्चे रोते, लडते और सो जाते, सडक किनारे
दिन का सूरज, सड़क किनारे
रात मे चान्द, सड़क किनारे
आना-जाना,
खाना-पीना,
लडाई-झगड़े,
प्यार-मोहबत, सब कुछ इनका सडक किनारे
वास्तव मे, ये महानगरों की सडक बनानेवाले हैं!!!
2 टिप्पणियां:
जन्माष्टमी की हार्दिक बधाई.
( Treasurer-S. T. )
विकास पढ़कर दुख तो हुआ, लेकिन यह अच्छा भी लगा कि कोई युवा उन चीज़ों की अनुभूति कर रहा है, जो आमतौर पर लोगों के लिए आयी-गयी हो जाती हैं, और वे उसे देख कर भी महसूस नहीं करते। बल्कि कई बार तो देखते तक नहीं हैं...
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